Wednesday, February 10, 2010

कैसी है ये उदासी छाई...




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कैसी है ये उदासी छाई, मेरे दिल
कैसी गहरी है ये तन्हाई, मेरे दिल
राहों में यादों की खामोशी बरसे
आँखों में जो गुम है, आँसू को तरसे
ये बता ये क्यूँ हुआ
बुझ गया, क्यूँ हर दीया
कैसी है ये उदासी छाई, मेरे दिल

हू जो भी मिला, वो खो गया
तुझको पता है ऐसा ही सदा होता है
जाना ही था वो जो गया, दिल तू अकेला ऐसे क्यूँ भला रोता है
भूले जो हैं अब तुझको अब उनको भूल जा तू भी
वरना मेरे साथ यादों के ज़ख़्म खा तू भी
मान जा, ए दिल मेरे
भूल जा, शिकवे गीले
कैसी है ये उदासी छाई


हू तू ही बता ए दिल मेरे
मैने तो हमेशा तेरा ही कहा माना है
क्यूँ है मुझे ये गम घेरे
मुझे उमर क्या बस यही सज़ा पाना है
सपने बोए मैने और दर्द मैने है काटे
गाए गीत मैने और पाए मैने सन्नाटे
आरज़ू नाकाम है
सूनी सी हर शाम है
कैसी है ये उदासी छाई, मेरे दिल
कैसी गहरी है ये तन्हाई, मेरे दिल

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