Friday, November 4, 2011

माँ...

माँ, तू क्यूँ है चिंतित,
मन तेरा किधर खो रहा...
मत सोच, उस संसार के लिए,
दुख-रोष जहाँ व्याप्त हो रहा...

नित सबेरे कोमल हाथो सें,
तुझको मैं जगाऊँगी...
नन्हें कदमों और किल्कारी से,
घर आँगन महकाऊँगी...

जल्दी दे दो दूध-बिस्कुट,
मैं बड़ी हो जाऊँगी...
खुश कर तेरे इस हृदय को,
सुंदर "परी" कहलाऊँगी..

~ तविषी बजाज

Thursday, September 15, 2011

उम्मीद...

"उम्मीद" अंधेरे मे जलती एक ज्योति है...
"उम्मीद" एक लंबी राहत पाने की चुनौती है..

"उम्मीद" बेहतर दिनों का सपना है..
"उम्मीद" जुनून भरा दिल अपना है...

"उम्मीद" रेगिस्तान में एक तालाब है...
"उम्मीद" धूल-मिश्रित मोती बेहिसाब है...

"उम्मीद" हर जगह है...
"उम्मीद" हर किसी के लिए है...

"उम्मीद" ज़िंदगी में एक चमत्कार है...
"उम्मीद" है तभी तो जीवन में बहार है...

© - सौरभ बजाज

Wednesday, August 24, 2011

ख्वाबों की दुनिया...

ख्वाबों की दुनिया होवे रंगीन,
ज़िराफ़ से ऊँचे, चींटी से महीन,
कोई वानर सी चपलता सिखलाए,
तो कुछ वफ़ादारी-ए-श्वान निभाए...

कदा मन हो मदमस्त गज-राज,
और बिरले भयभीत करे वनराज,
इसलिए कहे कवि 'बजाज',
हर ख्वाब के हो अपने मिज़ाज.

© - सौरभ बजाज

Wednesday, August 17, 2011

महा-प्रीत...

लिखना चाहे इक मधुर गीत...
जो बयाँ करे ये महा-प्रीत...
पर शब्दों से परे ये रीत...
हर कोई पाए अपना मन-मीत...
© - सौरभ बजाज



Sunday, August 7, 2011

मित्रता दिवस...

आँख खुली तो आपकी याद आई,
कुछ खास संदेशा ये सुबह लाई,
दुख-सुख की घड़ी जिन्होने संग निभाई,
ऐसे सभी दोस्तो को मित्रता दिवस की बधाई...

Wednesday, July 27, 2011

वर्षा ऋतु...

नील-निर्मल स्वच्छ गगन...
बहती भीनी-सी मंद पवन...
तब बादलों का करके सृजन...
वर्षा ऋतु का हो प्रकटन...

जल-नभ-धरा करे अदभुत मिलन...
जब गर्जन-तर्जन मय हो वर्षण...
फिर उपस्थिति दर्ज कराए जल-कण...
अंततः कर सब को सतरंगी नमन...


© - सौरभ बजाज
 The beautiful Indian Ocean... Clicked @ Bel Ombre, Mauritius...

Monday, July 25, 2011

साथी...

ताउम्र साथ निभाने का वादा करते हैं...
फिर भी साथी छूट जाते हैं...
कुछ तो सीखें हम इन निरीह प्राणियों से...
जो अपनो के लिए सदा आगे आते हैं...
 © - सौरभ बजाज
 Clicked in Mauritius, a 150+ year old tortoise couple...!!!

Sunday, July 24, 2011

हमराज़...

हर पल एक एहसास है वो...
जिंदगी के लिए कुछ खास है वो...
'प्रिया' बुलाते प्यार से जिसे...
मेरी ज़िंदगी की हमराज़ है वो...
© - सौरभ बजाज

Friday, July 22, 2011

कातिल इरादे...

कितने कातिल है तेरे इरादे,
ये हमें मालूम नहीं...
बस तेरी पलकें झुकती हैं,
और हम मर जाते है...
© - सौरभ बजाज

Wednesday, March 2, 2011

उज्जैन की यादे...

आओ लौट चले उन पिछली यादों में...
जीया करते थे जब हम उन्मादों मे...

याद आती है क्षिप्रा नदी की शाम...
और वो मेघदूत की पार्टी में झाम...

चौपाटी पर करने को जाते सब सैर...
नयन-सुख उठाए और लौटे खाए बगैर...

याद आती है डालु की कचोरी-चाय...
1-1 रुपये का जब हिसाब मिलाए...

और कुछ ना मिले अपने कॅंटीन मे हाय...
पूरन और कालू के ताज़े समोसे खाए...

शिवानी भी हमें बहुत याद आए...
वही थी जो हमें पास करवाए...

हर पेपर के बाद महाकाल जाए...
और किसी को वही अकेले छोड़ आए...

रिज़ल्ट के पोहे महीनो बाँटे जाए...
जो उम्मीद ना हो वैसे नंबर पाए...

कुछ ऐसी ही उज्जैन की यादे सताए...
क्यूँ ना फिर सब मिल ये दोहराए...

द्वारा - सौरभ बजाज