Wednesday, August 24, 2011

ख्वाबों की दुनिया...

ख्वाबों की दुनिया होवे रंगीन,
ज़िराफ़ से ऊँचे, चींटी से महीन,
कोई वानर सी चपलता सिखलाए,
तो कुछ वफ़ादारी-ए-श्वान निभाए...

कदा मन हो मदमस्त गज-राज,
और बिरले भयभीत करे वनराज,
इसलिए कहे कवि 'बजाज',
हर ख्वाब के हो अपने मिज़ाज.

© - सौरभ बजाज

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