Saturday, January 16, 2010

अब मुझे कोई इंतेज़ार कहाँ...

जिन दिनो आप थे, आँख में धूप थी...
जिन दिनो आप रहते थे, आँख में धूप रहती थी...
अब तो जाले ही जाले हैं, वे भी जाने वाले हैं...
वो जो था दर्द का क़रार कहाँ...
वो जो था दर्द का क़रार कहाँ...
अब मुझे कोई इंतेज़ार कहाँ...
वो जो बहते थे आब्शार कहाँ...
अब मुझे कोई इंतेज़ार कहाँ...

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