टूटे सपने,
टूटे हौंसलें,
और ना जानें
क्या क्या हाहाकार हुआ...
हँसें दुश्मन,
हँसें दोस्त,
मेरी पीड़ा का
ना उन्हें आभास हुआ...
मैं ना कम था,
हँस पड़ा,
कुछ ना हुआ हों
ऐसा मैनें इज़हार किया...
और सफलता के रथ पर
चलते चलते,
कुछ असफलताओं से,
मैं सहम गया...
स्व-विश्वास हटा,
गरल उठा,
ज़िंदगी के लक्ष्य में
मानों मैं यूँ विफल हुआ...
परन्तु....
हार नहीं मानूँगा मैं,
विफलता का
हाथ नहीं थामूँगा मैं...
कभी हार,
कभी जीत,
यहीं तो ज़िंदगी की
कहानी है...
जो समझ ना सकें
इस ज़ज्बात को,
उसके शरीर मैं बहता द्रव्य
रक्त नहीं हैं पानी हैं...
~~~ द्वारा - सौरभ बजाज ~~~
टूटे हौंसलें,
और ना जानें
क्या क्या हाहाकार हुआ...
हँसें दुश्मन,
हँसें दोस्त,
मेरी पीड़ा का
ना उन्हें आभास हुआ...
मैं ना कम था,
हँस पड़ा,
कुछ ना हुआ हों
ऐसा मैनें इज़हार किया...
और सफलता के रथ पर
चलते चलते,
कुछ असफलताओं से,
मैं सहम गया...
स्व-विश्वास हटा,
गरल उठा,
ज़िंदगी के लक्ष्य में
मानों मैं यूँ विफल हुआ...
परन्तु....
हार नहीं मानूँगा मैं,
विफलता का
हाथ नहीं थामूँगा मैं...
कभी हार,
कभी जीत,
यहीं तो ज़िंदगी की
कहानी है...
जो समझ ना सकें
इस ज़ज्बात को,
उसके शरीर मैं बहता द्रव्य
रक्त नहीं हैं पानी हैं...
~~~ द्वारा - सौरभ बजाज ~~~
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