Thursday, December 2, 2010

कुछ तुम कहो... कुछ हम कहे...

कुछ तुम कहो...
कुछ हम कहे...
सिलसिला सदा चलता रहे..
है फिर भी कितनी...
अनकही बाते...
हर पल मन मचलता रहे..
दूर हो हम...
या पास रहे...
दिल तो फिर भी तड़पता रहे...
कुछ तुम कहो...
कुछ हम कहे...
सिलसिला सदा चलता रहे..

द्वारा - सौरभ बजाज

2 comments:

Anonymous said...

nice poem
nice blog
are u from ujjain?

Saurabh said...

Thanks.. Chirag...
Yes I am from Ujjain...