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कि तेरा ज़िक्र है, या इत्र है...
जब जब करता हूँ...
महकता हूँ...
बहकता हूँ...
चहकता हूँ...
तेरी फ़िक्र है, या फक्र है...
जब जब करता हूँ...
मचलता हूँ...
उछलता हूँ...
फिसलता हूँ...
पागल की तरह,
मस्तियों में टहलता हूँ...
कि तेरा ज़िक्र है, या इत्र है...
Neither I am a perfectionist nor I want to be... I just want to live my life like a normal person and give happiness to others...
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