वो चन्द लम्हें जिनके लिए,
मैनें किया कई महीनों इंतजार...
इतनी जल्दी बीत गये और
वक्त का ना हुआ मुझे ऐतबार...
नक़ाब था उसने जैसे पहन लिया,
और हर पल मुस्कुराना सीख लिया...
छुपाना चाहा अपना हाल-ए-दिल,
पर उसकी आँखो ने सच बयाँ कर दिया...
कुछ पल को वो हुए मुखातिब,
और सारी कायनात जैसे रुक गयी..
उसकी आँखो में दिखें कई ज़ज़्बात,
और बात होंठो पर आने से रह गयी...
~~~~ द्वारा - सौरभ बजाज ~~~~
1 comment:
oh ho!! kya kehene!
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